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महिला मण्डल
जाग्रत नारी राष्ट्र की जीवन ज्योति है

Mahila Mandal, Udaipurमहिला मण्डल संस्था का परिचय
महिला-मण्डल, उदयपुर सन् 1935 से महिला शिक्षा एवं नारी जागरण की अनेक प्रवृत्तियों के द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं की सेवा कर रहा है। यह संस्था उदयपुर क्षेत्र की अग्रणी संस्था है, जो बालिका शिक्षा विशेषकर आदिवासी, निराश्रित एवं निम्न वर्ग की बालिकाओं की शिक्षा में राष्ट्रीय उद्देश्यों पर आधारित कार्य कर रही है।
इस संस्था का लक्ष्य बालिकाओं तथा महिलाओं का सर्वांगीण विकास करना है। “राजस्थान को बढ़ाओ और सेविकाएँ तैयार करो।” ऐसे शुभ कार्य में मेरा हार्दिक आशीर्वाद है।
महात्मा गांधी से आशीरवाद लेकर इस संस्था की स्थापना स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजसेवी स्व. दयाशंकर जी श्रोतृिय द्वारा की गई है।


महिला मण्डल संस्था का परिचय
महिला-मण्डल, उदयपुर सन् 1935 से महिला शिक्षा एवं नारी जागरण की अनेक प्रवृत्तियों के द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं की सेवा कर रहा है। यह संस्था उदयपुर क्षेत्र की अग्रणी संस्था है, जो बालिका शिक्षा विशेषकर आदिवासी, निराश्रित एवं निम्न वर्ग की बालिकाओं की शिक्षा में राष्ट्रीय उद्देश्यों पर आधारित कार्य कर रही है।
इस संस्था का लक्ष्य बालिकाओं तथा महिलाओं का सर्वांगीण विकास करना है। “राजस्थान को बढ़ाओ और सेविकाएँ तैयार करो।” ऐसे शुभ कार्य में मेरा हार्दिक आशीर्वाद है।
महात्मा गांधी से आशीरवाद लेकर इस संस्था की स्थापना स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजसेवी स्व. दयाशंकर जी श्रोतृिय द्वारा की गई है।
महिला मंडल उदयपुर : एक तथ्यपरक एवं यथार्थ आधारित यात्रा (1935–वर्तमान)
महिला मंडल, उदयपुर की स्थापना 1935 में समाजसेवी पंडित दयाशंकर श्रोत्रिय द्वारा उस समय की सामाजिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए की गई थी। यह वह काल था जब मेवाड़ क्षेत्र में महिला शिक्षा की पहुँच सीमित थी, और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम दिखाई देती थी। ऐसे वातावरण में महिला मंडल का गठन मुख्य रूप से महिलाओं के लिए सुरक्षित सामाजिक स्थान, और शिक्षा व व्यावहारिक कौशल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया।
स्थापना के शुरुआती वर्षों में, संगठन ने औपचारिक विद्यालय जैसे ढाँचे के बजाय छोटे समूहों, बैठकें और घरेलू शिक्षा केन्द्रों के रूप में काम प्रारंभ किया। स्थानीय मोहल्लों से महिलाएँ यहाँ आकर बुनियादी साक्षरता, सिलाई-कढ़ाई, गणित, गृह प्रबंधन जैसे उपयोगी कौशल सीखती थीं। यह गतिविधियाँ उस समय की सामाजिक जरूरतों और उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप थीं।
1940 और 1950 के दशकों में जब शिक्षा के अवसर बढ़ने लगे, महिला मंडल ने अपनी गतिविधियों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों, बाल शिक्षा गतिविधियों, स्वास्थ्य जागरूकता, और महिला समुदाय के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं तक विस्तारित किया। यह विस्तार उस समय के सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों के अनुरूप था, जिनका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के विकास को बढ़ावा देना था।
समय के साथ, इस स्थान का उपयोग स्थानीय समुदाय द्वारा सामाजिक बैठकों, शिक्षण सत्रों, और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी होने लगा। उपलब्ध ऐतिहासिक स्मृतियों और स्थानीय दस्तावेज़ीकरण के अनुसार, महिला मंडल ने मुख्य रूप से समुदाय आधारित कार्य किए—जैसे महिलाओं का समूह सहयोग, कौशल विकास, और सामाजिक जागरूकता।
आज, लगभग नौ दशकों बाद भी, महिला मंडल उदयपुर एक स्थानीय सामुदायिक संस्था के रूप में कार्य करता है, जो लगातार महिलाओं और बच्चों के लिए शिक्षा, प्रशिक्षण और सामाजिक सहभागिता के अवसर प्रदान करता रहा है। इसकी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि छोटे स्तर का सामुदायिक प्रयास भी लंबे समय में समाज के सांस्कृतिक ढाँचे को प्रभावित कर सकता है।




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Testimonials
श्री रमणाथ सेनगुप्ता, कलकत्ता“मेरी शुभकामनाएँ, सहानुभूति और सहयोग पूरा–पूरा आप लोगों और संस्था के साथ है। संस्था के जन्मकाल से ही मैंने इससे अपना सम्बन्ध माना है और इसकी उन्नति तथा विकास को मुझें बहुत दुख होता रहे। महिला मण्डल की सफलता भी इसी में है कि वह आज की समाज रचना में स्त्रियों की उन्नति करके ऊँचा स्थान प्राप्त कर सकें।”
Kamla Devi, Chattopadhyaya“I am very happy to have had this opportunity to visit the Mahila-Mandal and see the very excellent work, it is carrying on in so many diverse and essential fields. The need for such institution is keenly felt all over. I must congratulate its organisers and workers on their venture, I wish it every success.”
श्री हरिशंकर उपाध्याय,“यह जानकर मुझे प्रसन्नता हुई कि दिनाकं 4.3.60 की सायंकाल को महिला–मण्डल के रजत जयन्ती समारोह का उद्घाटन आदरणीय राष्ट्रपति द्वारा होने जा रहा है। आशा है समारोह पूर्ण रूप से सफल होगा।”
पूर्व,वित्त मंत्री, राजस्थान
श्री प्रकाश,“मेरी शुभकामनाएँ हैं कि महिला–मण्डल की उपयोगिता दिन प्रतिदिन बढ़े और अधिकाधिक महिलाएँ इसके द्वारा प्रेरित होकर दिन प्रतिदिन उठती और अपने समाज की उन्नति में सहयोग हो।”
पूर्व राज्यपाल, मुंबई
विजयराजे सिंधिया,“इस प्रकार की महिला सम्बन्धी संस्थाओं के प्रति, जो नारी समाज की समुत्तोमुखी उन्नति हेतु निःस्वार्थ भाव से कार्यशील हैं, मेरी सदैव शुभकामनाएँ हैं।”
महारानी, ग्वालियर
महाराणा अरविंद सिंह जी“गाँधी युग के गाँधीवाद पं. दयाशंकर जी श्रीत्रीय द्वारा संस्थापित इस संस्था का प्रमुख उद्ददेश्य नारी–जागरण को लेकर रहा है और तद्नुसार शिक्षा–क्रम के साथ–साथ यहाँ जो अन्य प्रवृतियाँ चलाई जा रही हैं, उनका भी अपना प्रयोजन है, और वह मुख्यतः नारी–जगत को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास से जुड़ी हुई हैं।”
मेवाड़